गोर विचारधारा
आपणो गोरबंजारा समाज,एक भुमि छ।
वोम जसो बिज पेरिया।वसो वृक्ष बणिये।काटार बिज पेरन आंबा र अपेक्षा किदे तो कती मळिये।
आज आचो पेरा तो ।आपण आयेवाळ पिडीन आचो फळ मळिये।
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आपण एक बीजे समान
ज्यारेर बीजा पेरेर वेळा, काई बीज वाटेपर पडगे,पक्षी र नजर पडी, वो आन खालदे।
काई बीज खडकाळी जमीपर पडगे।ओर जडेन धुड मळी कोनी केन हुगेकोनी।
काई बीज काटार झाडझुडपेम पडगे,जेर कारण ओर वाड खुंटगी।
बचेवत्रा बीज काळीधुडेम पेरणी
व्हेगी, जो फळफुलन सो गुना बीज बनगे।
भियाओ आपण भी एक बीजे प्रमाणे छा जीवन हनुज छ।
आचो करिया तो ओर फळ आयेवाळ पिढीन मळिये।
जय सेवालाल।आचो करा तो आचो व्हिये।
किसन व्ही, राठोड
ठाणे।