भीमणीपुत्र बापू के “गोरपान”किताब से बंजारा लोकगीत का सौंदर्य एंव विश्लेषण – गजानन धावजी राठोड
गोर बंजाराके महान साहित्यिक भीमणीपुत्र मोहन नाईक अपनी प्रस्तुत पुस्तक में गोरबंजारा ‘लोकगीतों के संदर्भ और आयाम’ में पहली बार बंजारा गीतों के साहित्यक सौन्दर्य के विश्लेषण विवेचन के साथ उनके सांगीतिक पहलुओं रसों पर भी समुचित प्रकाश डाला है।बहुमुखी प्रतिभा की धनी भीमाणीपुत्र हैं।।अतः उन्होंने अपनी इस कृति में साहित्य और संगीत–लोकगीतों के दोनों…