बंजारा कविता

ना छुरी🔪 रखता हुं
ना पिस्तौल रखता हुं
बंजारा का बेटा हुं
दिल में जिगर रखता हुं
इरादों मे तेज़ धार रखता हुं
इस लिए हंमेशा
अकेला ही निकलता हु
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बंगले . गाडी तो ”  बंजारा  ” की घर घर
की कहानी हैं…….
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तभी तो दुनिया ” बंजारा ”
की दिवानी हैं.
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अरे मिट गये ”  बंजारा ” को मिटाने वाले क्योकि आग मे
तपती ” बंजारा ” की जवानी है
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ये आवाज नही शेर कि दहाड़ है….. हम खडे हो जाये
तो पहाड़
है….
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हम इतिहास के वो सुनहरे पन्ने है…..
जो भगवान राम ने ही चुने है….दिलदार औऱ दमदार
है” ” बंजारा ”
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रण भुमि मे तेज तलवार है”” बंजारा  ”
पता नही कितनो की जान है ”  बंजारा ”
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सच्चे प्यार पर कुरबान है
“” ”  बंजारा “””
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यारी करे तो यारो के यार है
“” ” ” बंजारा  ”
औऱ दुशमन के लिये तुफान है
“” ” बंजारा ” “”
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तभी तो दुनिया कहती है बाप रे खतरनाक है
“” ”  बंजारा “”””
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शेरो के पुत्र शेर ही ज़ाने जाते हैं, लाखो के
बीच. ”  बंजारा ”
पहचाने जाते हैं।।
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मौत देख कर किसी क़े पिछे छुपते नही ,
हम” बंजारा ” ,मरने से क़भी डरते नही। हम
अपने आप पर ग़र्व
क़रते हैं, दुशमनों को काटने का जीगरा हम रखते हैं ,
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कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ,तो भी कोई
बात नहीं…
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,
बाँट दिया करते हैं।

बंजारा  की शान के लीऐ
10 ” बंजारा ” भाई को शेर करॊ
और उनसे कहे आगे 10 लोगो को शेर करे