*वाते मुंगा मोलारी*
My Swan Song
*गोरबोली भाषारो जन्म सिद्धांत*..!
*झोलो देगीरं;झोलेमं बलान लेगीरे*
*झोलो देगीरे sss*
*झोलो* ये गोरबोली भाषा शब्देनं सामाजिक संकेत छ.इ संकेत गैर गोरबोली भाषिक लोकगणेन कळेनी.ईज गोरबोली भाषारो स्वतंत्र सामाजिक भाषाशास्त्र छ.भाषारो अभ्यास क्षेत्र बदले सवायी गोरबोली भाषानं न्याव मळेवाळो छेनी.ई वात आबं सिद्ध वेरी छ.गोरबोली भाषारो तौलनिक अभ्यास करतूवणा गोरबोली भाषारो ई स्वतंत्र सामाजिक भाषा शास्त्र धेनेम लेणू इ घणो गरजेर छ.गोरबोली भाषाशास्त्रेर अभ्यास करतूवणा परंपरागत गोर मौखिक साहित्येनं बगल देतू आयेनी.परंपरागत मौखिक साहित्यज भाषाशास्त्रेर खुराक रचं हानू भाषातज्ञेर केणी छ.
गोरमाटी संस्कृती ई जगेर पुटेपरेर एकमेव वाड;मयीन संस्कृती छ.वाड;मय अन गोरबोली भाषारो संबंध इ अतूट छ. *गद* कतो बोलणे. गद ये धातू परती *गीद* ये शब्देर उत्पत्ती हुयी छ.गेयता ई गोरबोली भाषारो प्रमुख लक्षण छ.प्रसिद्ध भाषातज्ञ *लुंडविर न्वार येर yohe yo* ई भाषा निर्मितीरो सिद्धांत इज *गोरबोली भाषारो जन्म सिद्धांत छ*
इ अतिशयोक्ती छेनी तो वास्तव छ…!
*संदर्भ*-
1,- गोरपान गोरबोलीतील भाषा सौंदर्य
भीमणीपुत्र
2,- भाषाशास्त्र
प्रा. आनंद भंडारे
*भीमणीपुत्र*
*मोहन गणुजी नाईक*
गजानन धावजी राठोड
प्रमुख प्रतिनिधि – बंजारा लाईव् न्यूज