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“गोर बंजारा साहित्य निर्माण करना जरूरी है”
“गोर बंजारा साहित्य निर्माण ज़रूरी हैं” लेखक -सुखी चव्हाण,बदलापुर गोर बंजारा साहित्य निर्माण बहुत आवस्यक है। साहित्य को जन समूह के हृदय का विकास माना है। साहित्य का मतलब सिर्फ़ मनोरंजन करना नहीं बल्कि पीड़ित अज्ञानी समाज को उपदेश देना हैं। गोर समाज का गौरवशाली इतिहास,पूरको की सिक, सभ्यता,मर्यादा,रहन सहन, जिने कि अलग परिभाषा हैं।…