गोर धर्म को मिले संविधान दर्जा – रास्ता रोको आंदोलन
मुम्बई: अपनी अलग संस्कृति, खानपान, वेशभूषा और अपनी अलग भाषा की पहचान बंजारा समाज की है। बंजारा समाज की अपनी स्वयंम संस्कृति, भाषा, अपनी खुद की न्याय व्यवस्था, पूजन व्यवस्था है, हजारो वर्षो से बंजारा समाज की संस्कृति आज भी जीवित है। बंजारा समाज का भी अपना धर्म है, जिसे गोरधर्म कहा जाता है। आज…