गोरमाटी भीया: कविता युवा पीढ़ीरो कवि लखनकुमार जाधव,

*** भीया गोरमाटी ***

येकजूट वेयेर गरज छ आब

करा जतन से धाटी

आलग आलग वीकरागे जे

येक वेजावा से गोरमाटी  (1)
चमकनताणी कू काडोचो आयुष्य 

केरकेर लेयवाळ छो सहारा

शूरवीर वेताणी आयुष्य जगो

वतान चलगो लाखा बंजारा (2)
लालचे माई तम कनाई

मत गमावो सोतारो मान

वैरागी परशुराम बापू केगो 

समजान दीनो भाया वोमाई मानो समाधान (3)
सारी जगेमाई आंबर

वेगी सामका सती

संदेश दीनी सारी लोकून

नीभावो पत्नी धर्म मनेती (4)
केगो सेवाभाया रीजो येकीती

जसे आभाळेमाई छ तारा

दिल्ली देशेप राज करेरी

ताकत छ तारेमाई बंजारा (5)
सोतासारू जगचं आयुष्य चकवेन

वेजावचं मनक्या स्वार्थी संसारी

बापू रामराव कचं समाजेवासू जगो

आयुष्य भर जे रीदो बरमचारी (6)
शिक्षणेरी गंगा नायकडा

लायो घरे घरेन

हारोभरो करगो बापू

पुरे भारत देशेन (7)
सिंधू संस्कृती बरोबरीर

प्राचीन छ ई संस्कृती

येकज लोई येकज धर्म 

पचं आपणेम का ई वीकृती (8)
महान मोटे संत

चलगे वेताणी समाजेम

वोंदूसामू देकताणी करा

प्रगती आपणे जीवनेम (9)

*****कवि लखनकुमार जाधव*****

सौजन्य:गोर कैलास डी राठोड 

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