Kailash Rathod

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उपर बोले बाबडीया तोनं कू आवं घेरी निंदा?:- भिमणीपुत्र

वाते मुंगा मोलारीMy swan song जागो…जागो…गोर भायी/भेनो..!उपर बोले बाबडीया तोनं कू आवं घेरी निंदा? पुर्वाश्रमीर चोरगुन्हेगारीर ओळख करन चोट्टी गावडीनायी गळेमं “विमुक्त”नामेरो डिंगरो आडकान एक नाकारो हुवो आयुष्य Rejected Life जगेवाळो घटनात्मक संरक्षणेती वंचित गण समाज इज खरो वंचित अन उपेक्षित छ.अनुसूचित जाती/अनुसूचित जमातीनं आरक्षीत मतदारसंघ,ओनेर आधिकार,सोयी सवलते अन ओनेर हितसंबंधेर रक्षण ये घटनात्मक छ.तो…

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बणजारा अन बंजारा ये सांस्कृतिक नंजरेती दी भिन्न भिन्न समाज!

वाते मुंगा मोलारी My swan song बणजारा अन बंजारा ये सांस्कृतिक नंजरेती दी भिन्न भिन्न समाज! “बणजारा” अन “बंजारा” ये दोयी शब्द जसो व्याकरणेर नंजरेती दी भिन्न भिन्न शब्द सिद्ध वचं जुज सांस्कृतिक नंजरेती भी दी भिन्न भिन्न समाज सिद्ध वचं. वाना वानार भाषार संगतेती गोरबोली भाषारो सामाजिक भाषा शास्त्र कतो समाज भाषा विज्ञान कसो…

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गोरमाटी भाषारो एक आसली मुंडो…!

वाते मुंगा मोलारी my swan song गोरमाटी भाषारो एक आसली मुंडो…! “उच्चार” ये ध्वनी संकेतेसारु गोरमाटी भाषा व्यवहारेमं “वाचा” इ शब्द प्रचलित छ.भाषा शास्त्रेर डिलेती दिटे केलं तो “तोनं वाचतू आयेनी कांयी?”.इ भाषा व्यवहार चुकीरो सिद्ध वचं. “आकसेर फुटरे कोनी छ, आकसेर फुटेन लग्गे केलं तो पचं वाच लियूं..!” आकसेर फूटे सवायी “वाचा”कू निकळीये ?आतं…

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गोर याडी बोलीरो रुप..!

वाते मुंगा मोलारी my swan song गोर याडी बोलीरो रुप..! खरो तो गोरमाटी भाषानं “बोली”केणू ई गोरमाटी भाषापं अन्याव करे सरिको विये.भारतेमं जतरी भी बोलीभाषा विये ये से बोलीभाषा माईर गोरमाटी भाषा ई अलंकार,रस,रसेर स्थायीभाव,काव्य गुण अन भाषा अलंकारे माईर २० अर्थालंकार,३ शब्दालंकारेती संपन्न आस परिपूर्ण भाषा छ.ओर मालकीर श्रीमंत आसे स्वतंत्र आलंकारिक शब्देर खजेनेती…

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गोरच करतेते,दसराव:- प्रा.गोकुळ आडे वाशिम.

“गोरच करतेते” काहा व्हेरे गोरूर हाल आतरी वाते तु मातेम घाल बालाजी दारेम पुजा घरेम पीर खुटान बांधतेते दसराव अन दवाळीन चोको घरेम पुजतेते सेगाम शिरडी पंढरी कासी केनी कोनी मानतेते बापुर आडदास याडीर यींळतीरो भोग तांडेम देतेते ….गोरचं करतेते……. याडी भेनेर इज्जत अब्रु रस्ताप कोनी लातेते होळी तीजेन रमेकुदेसारू डिजे कोनी वजातेते नातेती नातो…

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धर्म…

धर्म… वलख मार रपीया, काचलीर वलख मार नव गेणारी कुं माणू हिंदू धर्मेन धर्मे मार गोर……।। अलग रेनो ,अलग बाणो अलग छ सण,अलग छ तेवार कुं करण माणू ये धर्मेन…..।। अलग मारी बोली अलग मारी होळी कुं करण भळगे हिंदूम कुं माणू ये धर्मेन….।। मोल छेणी मार बोलीर ये जगेम , सळगो काटा ये धर्मेन..।…

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पेलो पाणी:- गोरमाटी कविता.

पेलो पाणी अभाळ गरजो मरग लागो अंग ,अंग तावडो लार , लार छेंडी…।। मरगेर पहेल बुंद जमीप पडी मचगो कळोल जंगलेमाई मोरेर अवाज मलखेमाई बदल घडो मरगेमाई….।। पाणी पड डूंगरेम धुडेर वास मलखेम अभाळ गरजो मरग लागो……।। अंग,अंग पाणी लार,लार म जातो धुडेर गंध मनेन भागो अभाळ गरजो ,मरग लागो… पाणी पड अन तावडो तप…

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अंगठा छाप विकास,गोरमाटी कविता.

“अंगठा छाप विकास” म छू अंगठा छाप करू टांढेर विकास अवगी निवडणुक भरियँ फारंम….।.। ● म छू अंगठा छाप कुं विय विकास वावरेम सुकागी उभी पळाटी घरेम छेणी छछारून बाटी माटी छोड मोटी मोटी हानुती कुं विय विकास…..।। सोट द चळकीर पाणी माटीर मातेम बेसगी वाणी तु छी चौथी पास करिस टांढेर विकास……।। * म…

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गोर संस्कुती,गोरमाटी कविता

गोर संस्कुती रेगी कोनी नायकी रेगो कोनी नसाब रे रेगो कोनी टांढो रेगो कोनी नायक कत जारो गोरूर समाज रे…।। रेगी कोनी आटी रेगे कोनी चोटला रिदी कोनी गोरूर वळख कत जारी गोरूर संस्कुती रे..।। वेरे कोनी मुसळ वाया रेगो कोणी डपडार ताल वाजे लाग डी, जे ताश्या रे लागे लागो तीन वाजता वाया रे…

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चालतू छेडा,गोरबोली भाषारो विकास;गोरगणेरो विकास:- भिमणी पुत्र.

राम पोर चालतू छेडा, गोरबोली भाषारो विकास;गोरगणेरो विकास! भाषा ई संस्कृतीसामू जायेर एक हमरस्ता छ.भाषा जर भुलाडी पडगी केलं तो ओ भाषिक संस्कृतीताणू जायेर वाट बंद वे जावचं;करन भाषा जिवत रेणू ई घणो गरजेर रचं.केवळ भाषाज कोनी तो ओ भाषा व्यवहारे माईर आसली शब्द भी जिवते रेणू इ आवश्यक रचं.आज गोरबोली भाषा व्यवहारेमं गोरुर अस्तित्वेर…

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