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येक पीसारो जींबर सूत मोलायो र – Holir Lengi Geet (Banajra Holi)

*येक पीसारो जींबर सूत मोलायो र.* येक पीसारो जींबर सूत मोलायो र, || सूत मोलायोर जींबर जाळ गूतायो र, || जाळ गूतायो र जींबर चालो सीकारेन र || छोटा मोटा डाया देकन रोळज दीनो जाळ र, || रोळ दीनो जाळ कायी सपळ पडीर माचळी || सपळ पडी र माचळी वू खेचज लीदो जाळ र, ||…

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“क्लासिकल बंजारा ही शोषक बन गया है”

“क्लासिकल बंजारा ही शोषक बन गया है” अशोक भाई , जय सेवालाल आपकी हिम्मत की दाद देता हूँ । बहुत कम लोग विचारोको खुलेपण से लिखते हैं । आपके संपूर्ण लेख का अवलोकन करने पर लिखने का साहस जूटा पाया हूँ। वर्तमान गोर समाज की वैचारिक गलियां इन दिनों बड़े जोशीले माहोल से चर्चित है।…

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“बंजारा समाजात दांभिक पुरोगामी विचारधारेचा हस्तक्षेप”: समाजास ध्योक्याची घंटा”

*जय सेवालाल* ???????? *बंजारा समाजात दांभिक पुरोगामी विचारधारेचा हस्तक्षेप — समाजास धोक्याची घंटा* ————————————— *भाग-4* अखिल विश्वातील गोर बंजारा समाज विश्वात सध्या ‘संक्रमणाचा काळ’ चालु आहे. राजकिय, सामाजिक व मुख्यतः वैचारिक दृष्टीने समाजातील एकंदरीत बुध्दी जीवी शिकलेली मंडळी व तरुण वर्गाचे एका क्रांतिकारी उत्थानाच्या दिशेने मोठया प्रमाणात मार्गाक्रमण होताना दिसुन येते आहे मात्र दांभिक पुरोगामीत्वाचा…

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“लक्ष चंडी महा यज्ञ आयोजन कि चर्चा ना होती तो?अपनो मे चूप्पे

“लक्ष चंडी “महायज्ञ” आयोजन कि चर्चा ना होती तो”?… अपनो मे चूपे गैरों का कभी पत्ता ना चलता” लेखक:- सूखी चव्हाण बंजारा समाज की काशी माने जानेवाली हमारा श्रद्धास्थान पोहरादेवी के पावन भूमि में “लक्षचंडी” ‘महायज्ञ’ आयोजन की बात ना होती तो ? कैसे पता चलता?  कि जीन जीन लोगों को हमने गोर समाज का…

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“यज्ञ के बहाने से ढौंगी पूरोगामी समाज को भ्रमित कर रहे है”?

​यज्ञ के बहानेसे ढोंगी पूरोगामी समाज को भ्रमित कर रहे है?   पूरोगामी कहने वाले लोग  लक्षचंडि यज्ञ को लेकर बहूत चिंतित हो रहे है,दुःखी हो रहे है,शरीर को मन को कष्ट दे रहे है।अभी हिंदू धर्म के प्रति उनका आक्रोश पैदा हो रहा है।जाने,अनजान मे क्या कर बैटेंगे पता नही। अरे भाई  यज्ञ करना…

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“गोर बंजारा साहित्य निर्माण करना जरूरी है”

“गोर बंजारा साहित्य निर्माण ज़रूरी हैं” लेखक -सुखी चव्हाण,बदलापुर गोर बंजारा साहित्य निर्माण बहुत आवस्यक है। साहित्य को जन समूह के हृदय का विकास माना है। साहित्य का मतलब सिर्फ़ मनोरंजन करना नहीं बल्कि पीड़ित अज्ञानी समाज को उपदेश देना हैं। गोर समाज का गौरवशाली इतिहास,पूरको की सिक, सभ्यता,मर्यादा,रहन सहन, जिने कि अलग परिभाषा हैं।…

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“तांडा”एक अदभुत संकल्पना”

“वाते मुंगा मोलारी” भीमणीपुत्र “तांडा”- “तांडो ई मनुवादी छेनी तो बौद्धवादी बी छेनी, तांडा ई एक अदभुत संकल्पना छ जेनं इंग्रजी पारिभाषामं ‘ रोम्यांटिशिझम’ केतू आवचं.जगेर पूटेपं कोर अन गोर ये दी मानवो समुहेर अस्तित्वेन गोर संस्कृती मानचं,  ये माइर गोर गणेर वसती स्थानेनं तांडो कचं, ‘तांडव’ ये शब्दे परती तांडा ये शब्देर व्युत्पती हुयी…

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“समाजवादी बनो और समाज को परिवर्तित करो”

|| जय सेवालाल || जय सेवालाल || श्री संत महान तपस्वी रामराव महाराज यह बंजारा समाज के धर्मगुरू है । हिंदुस्थान के सभी बंजारा भाई-बहन, बंजारो की काशी श्री क्षेत्र पोहरादेवी को धर्मपीठ मानते है । ईसी तिर्थभूमीपर ईस साल 2017 में आनेवाली श्री रामनवमी को  “लक्षचंडी महायज्ञ” का आयोजन किया जा रहा है ।…

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“गोर बोली भाषेचे अस्तित्व न टिकल्यास सास्कंतीक ऐक्य धोक्यात येईल”:-भाग 2

*गोर बोली भाषेचे अस्तित्व न टिकल्यास* *बंजारा समाजाचे सांस्कृतिक ऐक्य धोक्यात येईल*  जरूर वाचा ???????? ( गोर बोली भाषा जागृती अभियान ) *भाग..२* जेव्हा १९६१मध्ये जनगणना झाली त्या वेळी १६५२ मातृभाषांची यादी झाली. प्रत्येक भाषा ही मातृभाषा नसते. पण तरीही साधारण ११०० भाषा असाव्यात, असं त्यावेळचं अनुमान होतं. १९७१मध्ये फक्त १०८ भाषा दिसल्या. म्हणजे दहा…

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“गोर धाटीम ‘पिपळेन’ महत्व”

“वाते मुंगा मोलारी” भीमणीपुत्र ‘ पीपळ’- ” गोर धाटीम पिपळेनं  Tree of Knowledge करन मानच.नानक्या छच्यापरेन जल्दी बोलतू आइ चाय करन पिपळेर पानेपं आकेर दुधेती आकडा (अंक)लकचं;आसो आकडा लको हुवो पिपळेर पान सणेर तारेती नानक्या छच्यापरेर गळे लार बांधे तो आसे छच्यापर पुटुपुटु जल्दी बोलेन लग जावचं.पिपळेर झाड इ गेन दचं; अनुर्वाचा दचं आसो एक…

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