बंजारा समाज में अनेक सुधारक होके गये उनमे बाबुसिंहभाऊ राठोड इनका नाम सबसे आगे है बाबुसिंहभाऊ निस्वार्थ, पैसा,संपत्ती,प्रसिध्दी,सत्ता से दुर रहने के कारण भाऊ ज्यादा प्रकाशझोत मे नहीं आ सके भाऊ ने समाज परिवर्तन के लिये पहराव बदलाने का निर्णय लिया जिसमे खुद के पत्नी,सांगतो की पत्नीया एवं बहने इनका उन्होंने पहराव परिवर्तन करके आधुनिकता की नीव रखी इस्टेट लिये उन्हे समाज के रोष का सामना करना पडा उन्होंने समाज को उन्होने समाज को शिक्षा,सामुहीक विवाह के लिये प्रेरित किया,वे स्वतंत्र्य सेनानी भी थे,उनका सत्कार.गांधीजी,व्हि.पि.सिंग,(भुतपुर्व प्रधानमंत्री) एल.आर.नाईक,(भूतपूर्व सांसदीय एवं मंडल कमिशन सदस्य) इनके करकमल़ोव्दारा उन्हे समाजरत्न पुरस्कारस से नवाजा गया
भाऊ जन्म १जनवरी १९०७ मे कारंजा तहसिल जिल्हा.अकोला महाराष्ट्र के छोटे से गाॅंव लोहगाव मे सुख उनकी शिक्षा ७वी तक हुई उनके पिताजी का नाम दगडूसिंह गणुजी राठोड था तथा वे कारंजा कूषी उपज मंडी में अडतीया का काम करते थे ९
१९३० मे भाऊ के कार्य से प्रभावित होणार फुलसिंग नाईक (वसंतरावजी नाईक के पिता)उन्हे मिलने घोडेस्वारी करते हुये कारंजा पहुचे और दोनो के बिच मित्रता हुई जब १९५२ मे नाईक साहेब को पुसद से चुनाव लडना था तब उनके लिये तिकट मांगने के लिये प्रधानमंत्री नेहरु,लालबहादूर शास्त्री,मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रवीशंकर मिश्र को मिले शिष्टमंडल का नेतुत्व बाबुसिंह भाऊ ने करके नाईक साहेब को चुनावको का तिकट दिलवाया,
भाऊ ने शिक्षा प्रसार हेतू १९३७ मे श्रध्दानंद छात्रावास की स्थापना की जिसमे छात्रो को मुक्त भोजन एवम निवास की सुविधा थी इस छात्रावास मे पढे छात्र बडे बडे स्थानोपर है जिने से एक भुतपुर्व विधायक,सांसद मोतीराम लहाने है जो की भाऊ को अपना आदशॆ मानते थे,भाऊ शिक्षा प्रसार का काम सराहनीय रहा भाऊ आगे चल कर ग्रामविकास मंडल की स्थापना की जिसके व्दारा वसंत विद्यालय पोहा,तहसिल कारंजा जि.अकोला(आज का जिल्हावाशीम)और खाकीनाथ विद्यालय अडगांव तहसिल .नेर जिल्हा.यवतमाल की स्थापना इस मंडल मे न तो भाऊ का रिस्तेदार था न तो वे थे उसके बाद अडगांव निवासी लोगोने स्कुल मांगी तो उसका अनुदानीत स्कुल गांव के लोगो को बिनामुवाबज लिये दे दी और कहा शिक्षा का प्रसार अच्छेसे करो कमश:
बाबुसिंहभाऊ बंजारा के आधुनिक शिल्पकार वे स्वातंत्र सेनानी भी थे उन्हे भारत सरकारने दलीतमित्र पुस्तकांवर देकर सन्मानित किया था तथा गांधीजी ने भी स्वातंत्र युध्द मे सराहणीय कार्यरत करणे से उनका सत्कार किया था१९४२ मे चलेजाव आंदोलन मे बढचढ कर हिस्सा लेकरं ५००रुपये डोनेशन दिया था उन्होने१९३६से लेकर१९७४तक पुरे भारत वर्ष हे १३ सामुहीक विवाहो का आयोजन करके इतिहास रचा जिसमे विभिन्न जाती के लोगो का विवाह संपन्न कराया जिसमे स्वय की बेटी सरलाताई, भतीजे मोहन(अमेरिका निवासी सि.ए.)का भी सामुहीक विवाह कराया समाजपरिवर्तन करते समये चालीसगांव तहसील के भिल्लवाडी तांडे मे शादी की बारात रोखकर बाबुसिंह भाऊ एव हिरासिंह सदा पवार पर लोगोने जानलेवा हमला कीया इस हमले मे तलवार,कुलृहाडी,भाला उपयोग कीया जिसमे वे बालंबाल बचे,वे २६ साल लगातार कूषी उपज मंडी के सभापती अविरोध रहे तथा १९७९ मेे स्वय होकर इस्तीफा दिया इसी दैरान भारत सरकार के कूषीमंत्री बलराम जाखडे ने उनका सन्मान किया २६ साल अवरोध सभापती रहने का पूरे भा्रतवर्ष मे रेकाड है २६ साल सभापती का कार्य करने के बावजूद किसी परिवार जनो को नोकरी न ही दी १९५२ मे कुलकायदा (कानुन) पारीत करने के लिये प्रयास कियेऔर जनजागृती करके भानावतजी साथ ११००० एकड खेती लोगो को दिलाई १९६९ इंदीराजी से मिलकर अकोला जिल्हे मे किंसाननगर गाॅव बसाकर वहाके किसानो को १०एकड खेती,मकान,बैलगाडी दिलाकर विश्र्व् के नक्सेपर नये गाॅव का नि्र्माण किया.
रितेश हरिष पवार (Ritesh Pawar)
संपादक साप्ताहीक वसंतराज
(Editor : Saptahik Vasantraj)
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